
सेट टॉप बॉक्स इंटरोऑपरेबिलिटी
सेट टॉप बॉक्स इंटरोऑपरेबिलिटी का तात्पर्य उस स्थिति से है, जब हम किसी भी डीटीएच ऑपरेटर के सेट टॉप बॉक्स को किसी भी अन्य डीटीएच ऑपरेटर के लिए प्रयोग कर सके।
जिस प्रकार हम किसी भी निर्माता का बनाया हुआ मोबाइल फोन खरीद कर किसी भी ऑपरेटर के सिम कार्ड के साथ उसे अटैच करके प्रयोग कर सकते हैं ठीक है ऐसी ही परिस्थिति सेट टॉप बॉक्स में हो जाए तो इसे ही सेट टॉप बॉक्स इंटरऑपरेबिलिटी कहते हैं।
वर्तमान परिस्थिति
समस्या
तकनीकी चुनौतियां
1.आवृत्ति परास -(Frequency Range)
2.विभिन्न एन्क्रिप्शन का प्रयोग
1.आवृत्ति परास -(Frequency Range) की समस्या
सामान्यतः प्रयोग होने वाले सेट टॉप बॉक्स तीन प्रकार के होते हैं।DVB-S (डिजिटल वीडियो ब्रॉडकास्टिंग-सैटेलाइट)
इसके अंतर्गत वह सभी डीटीएच ऑपरेटर आते हैं जिनकी चर्चा ऊपर की गई है तथा जो छोटे डिश एंटीना के माध्यम से अपनी सेवाएं प्रदान करते हैं। इनकी सेवाओं को प्राप्त करने के लिए हमें की के यू बैंड डिश एंटीना का प्रयोग करना पड़ता है। यह आवृत्ति की उस परास के लिए काम करता है जो डिश एंटीना से प्राप्त होती है।DVB-C (डिजिटल वीडियो ब्रॉडकास्टिंग-केबल)
इसके अंतर्गत वह सभी केबल ऑपरेटर आते हैं जो अपनी सेवाएं पूरे शहर में केबल के माध्यम से देते हैं इसके लिए आम उपभोक्ता को डिश एंटीना का प्रयोग नहीं करना पड़ता है यह डिश एंटीना केबल टीवी सर्विस प्रोवाइडर के यहां लगा होता है जो सी बैंड डिश एंटीना होता है तत्पश्चात वहां प्राप्त सिग्नल को कोएक्सियल केबल के माध्यम से उपभोक्ताओं तक पहुंचाया जाता है पुनः उपभोक्ताओं के पास एक विशेष सेट टॉप बॉक्स का प्रयोग होता है जो उस आवृत्ति के लिए ट्यून किया जाता है जो केबल टीवी के माध्यम से प्राप्त होती है यह आवृत्ति सैटेलाइट टीवी वाली आवृत्ति से भिन्न होती है।DVB-T(डिजिटल वीडियो ब्रॉडकास्टिंग-टेरेस्ट्रियल)
इसके अंतर्गत प्राप्त सेवा को लेने के लिए हमें किसी डिश एंटीना की आवश्यकता नहीं होती साथ ही किसी केबल सर्विस प्रोवाइडर की आवश्यकता भी नहीं होती इसमें एक सामान्य यागी एंटीना अथवा एरियल एंटीना का प्रयोग छतों पर अथवा घर के बाहर खुले स्थान पर किया जाता है तत्पश्चात एक विशेष सेट टॉप बॉक्स का प्रयोग किया जाता है जो उस आवृत्ति के लिए निर्धारित होता है जो टेरेस्ट्रियल एंटीना पर सिग्नल के रूप में प्राप्त होता है।यदि हम सेट टॉप बॉक्स इंट्रॉपरेबिलिटी को संभव बना भी दें तो भी यह तीनों प्रकार के सेट टॉप बॉक्स आपस में परिवर्तित करने के लिए एक ही सेट टॉप बॉक्स को इस तरह से डिजाइन किया जाना आवश्यक हो जाएगा कि यह तीनों ही प्रकार की आवृत्ति यों को ट्यून कर सके जिस कारण इसका मूल्य बहुत अधिक बढ़ जाएगा। यदि हम इसे ना अपनाएं तो सेट टॉप बॉक्स इंटरोऑपरेबिलिटीआंशिक रूप से ही सफल होगा।
2.विभिन्न एन्क्रिप्शन के प्रयोग की समस्या
सेट टॉप बॉक्स इंटरोऑपरेबिलिटी में अगली समस्या एंक्रिप्शन तकनीक को लेकर के है। अभी वर्तमान में अलग-अलग सर्विस प्रदाता अलग अलग एंक्रिप्शन तकनीक का प्रयोग कर पायरेसी को रोकने, कॉपीराइट कंटेंट को सुरक्षित रखने साथ ही उन उपभोक्ताओं को टीवी देखने से रोकते हैं जिन्होंने किसी शुल्क का भुगतान नहीं किया है प्रत्येक सर्विस प्रदाता अपने सेट टॉप बॉक्स में उसी एंक्रिप्शन तकनीक का प्रयोग करता है जिस कंपनी के साथ वह अनुबंधित होता है। यदि उपभोक्ता किसी एक सर्विस प्रदाता की सर्विस को त्याग कर अन्य ऑपरेटर को अपनाता है तो भी उसे सेट टॉप बॉक्स में पहली कंपनी का ही एंक्रिप्शन प्राप्त होगा जिस कारण टीवी चैनल्स लॉक नहीं रहेंगे इससे बचने के उपायों में एक उपाय हो सकता है कि सभी कंपनियां किसी एक ही कंपनी के एंक्रिप्शन तकनीक का प्रयोग करें परंतु यह प्रक्रिया तकनीक के विकास, इन्नोवेशन(नवाचार ) आदि को प्रभावित करती है। इसका दूसरा उपाय यह हो सकता है कि एक ही सेट टॉप बॉक्स में सभी कंपनियों के एंक्रिप्शन तकनीक को समायोजित किया जाए इससे भी सेट टॉप बॉक्स की लागत बहुत बढ़ जाएगी।सेट टॉप बॉक्स इंटरोऑपरेबिलिटी के अन्य लाभ
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